भरी जवानी में गुम न हो जाए याद्दाश्त

भरी जवानी में गुम न हो जाए याद्दाश्त

क्या आप अचानक से चीजें भूलने लगे हैं? थोड़ी देर पहले की बात याद नहीं रहती? नाम याद न आना, चेहरा भूल जाना, महत्वपूर्ण तिथियां, एप्वाइंटमेंट, किसी से हुई खास बातचीत, कोई चीज रखकर भूल जाना, बोलते-बोलते अचानक रुक शब्द या वाक्य भूल जाना, या दिमाग में धुंधलापन छाना तथा ऐसी और कई बातें तेजी से घटती याद्दाश्त की चेतावनियां हैं।

चिंता की बात ये है कि पहले ये सभी बढ़ापे की निशानियां मानी जाती थीं मगर अब युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही हैं। यदि इसके साथ आपको दिमागी तौर पर भी कुछ खास समस्याएं हों तब आपके लिए यह गंभीर समस्या का कारण बन सकता है।

65 की उम्र से पहले कमजोर हो जाती है याद्दाश्‍त

दरअसल जॉर्जिया टेक यूनिवर्सिटी के कुछ शोधार्थियों ने एक अध्ययन किया है जिससे यह स्‍थापित हुआ है कि 30 वर्ष की उम्र से लेकर 65 वर्ष की उम्र तक एक औसत व्यक्ति की याद्दाश्त 40 फीसदी तक कमजोर हो जाती है। इससे पहले के भी कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि 30 वर्ष की उम्र के बाद लोग हर बढ़ते साल में अपनी याद्दाश्त में कमजोरी महसूस करते हैं।

दिल्ली के मैक्स साकेत अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर राजशेखर रेड्डी कहते हैं कि युवावस्‍था में याद्दाश्त और दिमागी क्रियाशीलता में कमी निश्चित रूप से खतरनाक है और इसके लिए कई कारकों को दोष दिया जा सकता है। इनमें एक साथ कई काम करना, तनाव और तकनीक आधारित वातावरण, हवा-भोजन-पानी में जहरीले तत्व, अस्वास्‍थ्यकर भोजन और अस्वास्‍थ्यकर जीवनशैली शामिल हैं।

जब हमारा शरीर किसी तरह के तनाव में होता है तो शरीर में फ्री रेडिकल्स ज्यादा बनने लगते हैं। ये एक तरह के रसायन हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं और इसके कारण शरीर डीजेनरेटिव बीमारियां के प्रति जोखिम में आ जाता है। इसके कारण शरीर में हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं जो भोजन के बिहेवियर को खराब कर देते हैं।

इससे शरीर की ओवरऑल उत्पादकता और तंदुरुस्ती प्रभावित हो जाती है। इन स्थितियों में हमारे शरीर को याद्दाश्त बढ़ाने वाले न्यूट्रिएंट्श मसलन, विटामिन बी, विटामिन सी, फोलिक एसिड, जिंगक और मैग्न‌िशियम की जरूरत पड़ने लगती है।

ये कारक भी जिम्‍मेदार

वैसे याद्दाश्त घटाने में कुछ और कारक भी योगदान देते हैं जैसे कि दूषित खाना, चीनी का ज्यादा प्रयोग, शराब का ज्यादा सेवन या फिर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियेशन के प्रति ज्यादा एक्सपोजर। इसलिए युवा अवस्‍था में सही खाना और जीवनशैली सही रखना याद्दाश्त को सही रखने में पूरा योगदान देता है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं। हम क्या खाते हैं और पीते हैं और अपने शरीर के साथ कैसा बर्ताव करते हैं इससे हमारे याद्दाश्त पर खासा असर पड़ता है। इसलिए जीवनशैली को लेकर हमें दोबारा सोचने की जरूरत है।

याद्दाश्त दुरुस्त रखने के खास उपायः

तनाव दूर करें- समय पर काम खत्म करने का तनाव आपके निजी जीवन पर पड़ता है और इससे किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए इस तनाव का प्रबंधन इस तरह से करें कि ये निजी जीवन को प्रभावित न करे।

पूरी नींद लें- दिन में जमकर काम करने के बाद रात में अच्छी नींद शरीर के लिए जरूरी है। यदि आपको नींद ठीक से नहीं आती तो शरीर और मेमोरी दोनों पर असर पड़ना स्वाभाविक है। इसलिए नींद से कोई समझौता न करें।

सिगरेट छोड़ें- धूम्रपान उम्र सबंधी बीमारियों का बड़ा कारण है। इसलिए बेहतर है कि इससे पीछा छुड़ा लें।

मयखोरी कम करें- शराब की 30 से 60 मिलीलीटर मात्रा ही आपके सेहत के लिए ठीक है। इससे ऊपर की मात्रा याद्दाश्त घटाने और डिमेंशिया बढ़ाने के लिए बिलकुल फिट कारक है। इसलिए शराब से दूरी बनाए रखें।

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